Friday, 22 July 2022

Baba Princejapneet Singh ji Gamla Sharif

आग लगी आकाश में, तो झर झर गिरे अंगार, संत न होते जगत में, तो जल मरता संसार। चलती चक्की देखकर, दिया कबीरा रोय, दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय।